Sunday, November 29, 2009

यूँ इस तरह खोकर तुझे हम ग़म मनाते हैं

यूँ इस तरह खोकर तुझे हम ग़म मनाते हैं
प़ी लेते हैं थोड़ी और फिर भूल जाते हैं

इस ग़म का सबब किस किस को न हम बताते हैं
दोस्त नहीं, दुश्मन भी नहीं पूरी महफ़िल को रुलाते हैं
यूँ इस तरह खोकर तुझे हम ग़म मनाते हैं

इसका गिला नहीं हमें अब की हम तुझे न भूल पाते हैं
आठों पहर याद करके तुझे हम आसूं बहाते हैं
यूँ इस तरह खोकर तुझे हम ग़म मनाते हैं

इस प्यार में लोग कितने यहाँ अंधे हो जाते हैं
एक नहीं दो नहीं मानों मेरी सारे रिश्ते भूल जाते हैं
यूँ इस तरह खोकर तुझे हम ग़म मनाते हैं

तोड़कर दिल हमारा यूँ आप महफ़िलें सजाते हैं
हम यहाँ अकेले अब आपकी याद में मौत को बुलाते हैं
यूँ इस तरह खोकर तुझे हम ग़म मनाते हैं
प़ी लेते हैं थोड़ी और फिर भूल जाते हैं

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