Friday, April 16, 2010

शांति शांति शांति

नए सवेरे की आशा हमें कितनी आत्मविभोर कर देती है,कभी ओस की नन्ही चमचमाती बूंदों से पूछिए या फिर दूर तक फैली कोहरे के उजले बादलों से.हाँ सचमुच अचंभित कर देता है की ऐसे नए सवेरे की तलाश क्या हर किसी को है .या सिर्फ कल्पना में डूबे उन कवियों को जो नित्य प्रकृति को अपनी बाहों में समेटे दूर चले जाते हैं उन पहारों के बीच जहाँ सिर्फ और सिर्फ आत्मा होती है हमसे बात करने को और कुछ भी नहीं ..शांति शांति शांति ..

Thursday, April 15, 2010

O my mother

O my mother
Take me in your lap
And I will forget this world forever
O my mother
Kiss once on my forehead
And I will forget this pain forever
O my mother
Tell me again that fairy story
And I will listen it forever
O my mother
Come once in my dream
And I’m sure that dream will last forever.

Monday, April 5, 2010

हाँ कल रात मैंने एक आवाज़ सुनी
बड़ी करुणामयी बड़ा दर्द था उसमे
शायद वो जैसे बेसहारा भटक रही थी
और जैसे मेरे कानो से होकर
दिल में बैठ सुकून महसूस कर रही थी
कुछ नमी जरूर आई मेरी आँखों में
पर जैसे ममता बिखेरती माँ सामान
मैंने उसे प्यार से सहलाया
और पुछा क्यूँ है इतनी उदास
मै जो हूँ तेरे साथ
फिर वो जैसे खिल उठी
और बोली मै हूँ तेरी परछाई
तेरी तन्हाई की सखी
जो तू अगर मुस्कुराये तो
होती हूँ गुम
वरना बिलखती रहती हूँ
कोने में पड़ी सुकदूम
मैंने बोला सुन ए सखा
तुझसे मेरी न दोस्ती न दुश्मनी
पर एक बात है ए अजनबी
रहूँगा न अब मै तनहा कभी
दुःख मेरा जो है साथी अभी ...