Saturday, November 28, 2009

जब तेरा मेरा सामना होगा

जब तेरा मेरा सामना होगा
समय जैसे ठहर सा गया होगा
आहिस्ता-आहिस्ता नजरें बातें कर रही होंगी
लबों पे जैसे ताला सा लग गया होगा

अभी तेरी नजरों ने कुछ कहा होगा
अभी मेरी पलकों ने कुछ सुना होगा
कुछ समझने से पहले ही एक
ठंडी हवा का झोंका सा आया होगा

तेरी झुल्फ़ बिखरी होगी कुछ यूँ
तेरी लटें गिरी होगीं कुछ यूँ
तेरा आँचल यूँ उरा होगा
और हया से तुने उसे संभाला होगा

मेरा दिल जोरों से धरक रहा होगा
माथें पे तर-बतर पसीना सा रहा होगा
मेरी नजरें तुझ पर जम सी गयी होंगी
शायद तुने मुझे गूंगा समझा होगा

कुसूर मेरा नहीं ऐ हमसफ़र
ये तो तुझे बनानेवाले का रहा होगा
तभी तो इस हुस्न का दीदार करने वो
धरती पे बार-बार आया होगा ...

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