Saturday, November 28, 2009

kahani of love

कल रात एक अजब एहसास हुआ
जाने क्यों हमें तुझसे प्यार हुआ
ये इश्क था भी या एक आकर्षण
धीरे-धीरे मै जिंदगी से बेजार हुआ

हाय ये दिल भी हमने वहां लगाई
जहाँ दिल पहले ही लुट चुके थे
पाने को चले थे सारा आसमान
अब दो गज जमी के नीचे खड़े थे

ये इश्क भी अजीब सुकून देता है
न जीते बनता है न मरते बनता है
लाख छुपा लो सिने में इसका दर्द
अश्क बन कर हर पल आँखों से बहता है

खोकर भी तुम्हे पाया है बहुत
मैंने अब खुद को समझाया है बहुत
हो सके तो ए मेरे जीवन की प्रेरणा
इस जनम न सही तो अगले जनम मिलना

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