दिल में एक तन्हाई सी है
पास सब हैं फिर भी जुदाई सी है
वो कौन है जिसका है इंतज़ार मुझे
अभी तक मेरी जिंदगी परायी सी है
है वो कोई कर्ज जिसे चुकाया नहीं
या है वो दर्द जिसका कोई सहारा नहीं
वो कोई सूरत है या कोई सच
जिसको मै अब तक जान पाया नहीं
बड़ी भटकन है दिल कहीं ठहरता ही नहीं
पास मेरे सब कुछ है पर दिल बहलता ही नहीं
न जाने किस जुर्म की सजा है ये
लाख कोशिशें कर ली पर नशा चढ़ता ही नहीं
ए खुदा एक बार मुझे मिला दे उससे
बता दे क्या वास्ता है मेरा इस सबसे
फिर आएना हर रोज पूछेगा यही मुझसे
ए बन्दे तुझे मंजिल का पता मिल गया कबसे
ये सब सच भी है या है माया
हमने तो आज तक वही किया जो भाया
एक बार तो अ़र्ज कर तेरी रजा क्या है
फिर देख तेरी राहों में लहू का हर कतरा बहा देंगे
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