गर्दिश में हैं मेरे सितारे , पर तुझे इससे क्या
सूखे हैं मेरे किनारे ,पर तुझे इससे क्या
बिखरे हैं मेरे इरादे, पर तुझे इससे क्या
तू तो बहती जलधारा है, तुझे मेरी कश्ती से क्या
तेरी हथेली पे तैरता हूँ मै हर बार
तुझे पूजता हूँ मैं हर बार
डूब कर उभरता हूँ मैं हर बार
शायद एक दिन उतरूंगा कभी उस पार
तेरी लहरों का मुझ पर बड़ा असर है
अब मुझे मौत न कोई डर है
माना बड़ी मुश्किल ये डगर है
पर तू ही अब मेरा हमसफ़र है....
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