Saturday, November 28, 2009

my introduction in poetic format

मै विद्ध्वंश का अवशेष हूँ
मै मानवता का क्लेश हूँ
मै क्रूरता का आवेश हूँ
मै अमरता का सन्देश हूँ

मै धधकती ज्वाला हूँ
न मिट सकने वाली आभा हूँ
मै प्रेम का पर्याय हूँ
मै तेरी जिंदगी का नया अध्याय हूँ

मै सागर की अंतरिम गहरायी हूँ
मै आसमान की ऊँची छलांग हूँ
मै मिटटी के कण-कण बसा हूँ
मै हूँ नव कोपन अंकुर अभाय्मान

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