Sunday, March 28, 2010

मुझे तो सिर्फ तेरे लिए मरना है

आजकल बहुत थक गया हूँ मै ..जाने किस गली में भटक गया हूँ मै
यहाँ चेहरे मुझे अछे नहीं लगते ..शायद दिल के सच्चे नहीं लगते
मुझे शिकायत है मगर बताऊँ किसे ..मै पागल नहीं हूँ समझाउं किसे
माँ का दुलारा हूँ मै , मजबूत सहारा हूँ मै
काश मै क़र्ज़ तेरा उतार सकता ..अपनी नैया उस पार उतार सकता
अभी तो इस जहाँ में ही रहना है ..और दर्द ही दर्द सहना है
जीना नहीं है खुद के लिए..मुझे तो सिर्फ तेरे लिए मरना है

काफी नहीं थे मेरे अरमान की कुछ कमी थी

काफी नहीं थे मेरे अरमान की कुछ कमी थी
मेरे हिस्से में तो बस रेतीली जमीं थी
बांधना जब भी चाहा इन बाजुओं में तुझे
फिसलकर तू दिल से चली गयी थी

ये कैसी नज़र मुझे लगी थी
हर खुशी आसुओं के संग मिली थी
यूँ मांग बैठा जो तुझे खुदा से
हाय जैसे बिजली सी मुझ पड गिरी थी

वक़्त के पलकों तले ये ख्वाब भी दब गया
इत्तेफाक ही था मगर एहसास रह गया
हाँ रह-रहकर सताएगी तेरी ये याद
जीने के लिए बाकी अब यही नामोनिशान रह गया

Thursday, March 25, 2010

नही नहीं तू कभी न दिल लगाना

तेरे लिए मर भी जायेंगे तो कम होगा
शायद फिर भी मेरी वफ़ा का असर न होगा
तेरे क़दमों में बिछा दूं अगर सारी खुशियाँ
फिर भी भर न पायेगी तेरी झोली क्या
माना आपके ख्वाब आपको मुझसे ज्यादा प्यारे हैं
एकबारगी वो मिल जाये तो क्या याद आ पाएंगे हम
नहीं बहुत मुश्किल है इस तड़प को अन्दर बाँध पाना
नही नहीं तू कभी न दिल लगाना

Sunday, March 7, 2010

माना की तेरे बिना जिंदगी मेरी जिंदगी न होगी ,
फिर भी इन आँखों में आसुओं की कमी न होगी,
मेरा प्यार मेरी इबादत है खुदगर्जी नहीं ,
तेरी झोली में दुआओं की पोटली ही होगी ...