Monday, February 22, 2010
यहाँ आपकी कोई जरूरत नहीं
नहीं भाई मुझे तो अपने गाँव की पोखर के किनारे बैठे मछलियां मारना ही पसंद है..तब तो आप इस ग्लोबलआय्ज़ दुनिया में बहुत ही पिछड़े हुए हैं. ख्वाब देखिये तो ऊँची अट्टालिकाओं का या किसी शानदार रेस्तरां में चम्मचों से खाने का..काश आप कलयुग के सही इंसान को समझ पाते..यहाँ दिमाग से ज्यादा चापलूसी की जरूरत होती है ...और काम से ज्यादा काम टालने की अहमियत होती है..आप तो सतयुग में ही जाईये ..यहाँ आपकी कोई जरूरत नहीं ...
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