मेरा टूटा हुआ एक तारा
डूबता सूरज और नदी का वो किनारा
बहुत देर हो गयी अब न होगा कभी सवेरा
लूट गया मेरा चमन न रहा कोई रैन -बसेरा
अब तूफ़ान को भी यहाँ आने की इजाजत नहीं
उठ गया भरोसा अब कोई इबादत नहीं
चल छोड़ दिया हठ, मिलना हमारा मयस्सर नहीं
इतना करम कर देना मगर, मिलना बन अजनबी नहीं
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