Thursday, February 25, 2010
Happy holi to all
होली के हुडदंग में..भीगें आप रंग में ..टीका गुलाल का ..शोर धमाल का..थोड़ी जोर-जोरी सही..थोड़ी मन की चोरी सही .आपको पायें हम सदा साथ..होली का यही है उल्लास..आज भीग जाये मोसे तेरा तन मन..क्यूंकि तेरे बिना जीना नहीं है सनम ..
Monday, February 22, 2010
यहाँ आपकी कोई जरूरत नहीं
नहीं भाई मुझे तो अपने गाँव की पोखर के किनारे बैठे मछलियां मारना ही पसंद है..तब तो आप इस ग्लोबलआय्ज़ दुनिया में बहुत ही पिछड़े हुए हैं. ख्वाब देखिये तो ऊँची अट्टालिकाओं का या किसी शानदार रेस्तरां में चम्मचों से खाने का..काश आप कलयुग के सही इंसान को समझ पाते..यहाँ दिमाग से ज्यादा चापलूसी की जरूरत होती है ...और काम से ज्यादा काम टालने की अहमियत होती है..आप तो सतयुग में ही जाईये ..यहाँ आपकी कोई जरूरत नहीं ...
Saturday, February 20, 2010
ek shayari
यूँ तो आपकी नज़र का दुआ -सलाम रोज लेते हैं
कहने को तो हम बेजुबान इशारों से रोज कहते हैं
फिर भी आपकी इज़ाज़त का इंतज़ार रोज करते हैं
मुक़द्दर में हम आपके हैं या नहीं फैसला आप रोज बदलते हैं..
एक हम हैं जो मर मिटे एक मुलाकात पे
ये हुआ तो नहीं बिना जज्बात के
माना बड़े इश्किया मिजाज हम निकले
पर फिसले तो क्या खूब फिसले !!!
कहने को तो हम बेजुबान इशारों से रोज कहते हैं
फिर भी आपकी इज़ाज़त का इंतज़ार रोज करते हैं
मुक़द्दर में हम आपके हैं या नहीं फैसला आप रोज बदलते हैं..
एक हम हैं जो मर मिटे एक मुलाकात पे
ये हुआ तो नहीं बिना जज्बात के
माना बड़े इश्किया मिजाज हम निकले
पर फिसले तो क्या खूब फिसले !!!
मेरा टूटा हुआ एक तारा
मेरा टूटा हुआ एक तारा
डूबता सूरज और नदी का वो किनारा
बहुत देर हो गयी अब न होगा कभी सवेरा
लूट गया मेरा चमन न रहा कोई रैन -बसेरा
अब तूफ़ान को भी यहाँ आने की इजाजत नहीं
उठ गया भरोसा अब कोई इबादत नहीं
चल छोड़ दिया हठ, मिलना हमारा मयस्सर नहीं
इतना करम कर देना मगर, मिलना बन अजनबी नहीं
डूबता सूरज और नदी का वो किनारा
बहुत देर हो गयी अब न होगा कभी सवेरा
लूट गया मेरा चमन न रहा कोई रैन -बसेरा
अब तूफ़ान को भी यहाँ आने की इजाजत नहीं
उठ गया भरोसा अब कोई इबादत नहीं
चल छोड़ दिया हठ, मिलना हमारा मयस्सर नहीं
इतना करम कर देना मगर, मिलना बन अजनबी नहीं
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